आचार्य श्रीराम शर्मा >> अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रहश्रीराम शर्मा आचार्य
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जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह
(झ)
झनझनादे चेतना के, जड़ विनिद्रित तार को।
माँ जगा दे आज तो, सोये हृदय के प्यार को॥
झल बावै झल दाहिनै, झलहि माहि त्योहार।
आगै पछि झलभई, राखै सिरजन हार॥
झालि परे दिन आथये, अन्तर पर गई साँझ।
बहत रसिक के लागते, बिस्वा रहि गई बाँझ॥
झिलमिल झगरा झूलते, बाकी छूटि न काहु।
गोरख अटके कालपुर, कौन कहावै साहु॥
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